सुदर्शन चक्र की वैज्ञानिक व्याख्या

 

सुदर्शन चक्र की वैज्ञानिक व्याख्या

सुदर्शन चक्र का जिक्र हमे हिंदु ग्रंथो जैसे रामायण और महाभारत तथा विष्णुपुराण मे मिलता है|कहा जाता है यह भगवान विष्णु का अस्त्र है और श्री विष्णु के सभी अवतार इसका इस्तेमाल कर सकते है| श्रीविष्णु का यह अस्त्र एक चक्र है जो उनकी उंगली मे घूमती रहती है और जब वह किसी निशाने पे छोड़ा जाता है तो भयंकर तबाही मचाता है| वेदो के अनुसरा वज्र बहुत ही खतरनाक होते है कुछ वज्र का जिक्र मिलता है जैसे त्रिशूल,वज्रासत्र,श्री हनुमान एवं सुदर्शन चक्र |

हम बात करने वाले है सुदर्शनचक्र के पीछे वैज्ञानिक व्याख्या के बारे मे यह मैंने खुद अनुमान लगाया है और गहरी खोज के बाद लिखा है |मेरा उद्देश्य किसी प्रकार का धार्मिक क्षति करना नहीं है|

अब हम  कुछ वैज्ञानिक बिन्दुओ पे बात करेंगे-

1) सुदर्शन चक्र इतना तेज कैसे घूमता है और कृष्ण उसे अपने उंगली पे कैसे रखता है?

2) सुदर्शन चक्र किस चीज़ से बना है?

3) सुदर्शन चक्र मे इतनी शक्ती कैसे थी?

4) चक्र अपना निशाना कैसे ढूंढ निकलता है?

5) क्या चक्र अपना आकार बदल सकता है?

6) श्री कृष्ण सुदर्शन चक्र को कहाँ रखते थे?

7) क्या इस तरह का अस्त्र बनाना संभव होगा

आइये अब पूरी विवरण से जानते है  

1) सुदर्शन चक्र इतना तेज कैसे घूमता है और कृष्ण उसे अपने उंगली पे कैसे रखता है?

इसका जवाब इस तरह से हो सकता है की चक्र का मैकानिज्म

 स्पीनर की तरह हो पर एडवांस जिसकी वजह से वह बहत तेज

 घूमता हो|साथ ही जब इसे छोड़ा जाता है तो बहूत तेज गति मे

 जाता है और बाधा पड़ने पर गति और बढ़ जाती है और श्री कृष्ण

 इसे अच्छे से इस्तेमाल करना जानते है इसलिए वे इसे बैलेन्स रख लेते थे|


2) सुदर्शन चक्र किस चीज़ से बना है?

सुदर्शन चक्र मे बहुत ही जादुई शक्तियाँ थी| साथ ही यह

 बहुत तबाही मचाने वाला अस्त्र था| तो यह बात सा

 जाहीर है की ये किसी भी प्रकार से इंसान की

 जानकारी के मेटल से नहीं बना था| यह उस चीज से

 बना था जो देवता अपने हथियार के लिए इस्तेमाल

 करते थे| पर इसका वजन बाकी सस्त्रों से अधिक वजनी

 था जिसे भगवान शिव और श्री विष्णु ही उठा सकते थे|


3) सुदर्शन चक्र मे इतनी शक्ती कैसे थी?

वेदो को माने तो यह भगवान शिव की शक्तियो तथा देवीय धातु से बना था इसलिए यह इतना शक्तिशाली था|

पर अगर हम इसके पीछे का साइन्स समझे की कोशिश करे तो हम जानते है MV2 डिरेक्ट्ली प्रोपोसोनल है Ke से इसलिए हम ऊपर के दो व्यखाओ से जानते है चक्र का

 वजन एवं घूर्रण गति बहुत अधिक है जिस कारण बहुत

 अधिक ऊर्जा का निर्माण होता है| एक और

 मोमेंटम(P)=MV इसलिए उसके द्वारा लगाया बल भी

 बहुतअधिक है| साथ ही यह बहुत धारदार है| साथ ही

 देवीय लोह से बनने के कारण ऊर्जाओं को सोखने तथा बढ़ाने का काम भी करता है|



4) चक्र अपना निशाना कैसे ढूंढ निकलता है?

चक्र जो है अपने चलाने वाले के द्वारा तय किए निशाने का पीछा करता है औए उसे खतम करता है| वह निशाने को तब तक नहीं छोडता जब तक उसे चलाने वाला न चाहे| इसी समान मारवेल का एक फिक्सनल कैरक्टर यांडू भी याका तीर का इस्तेमाल करता है जो उसे हमेशा अपने पास रखता है और वह तीर हवा मे भी रह सकता है|  उसका निशाना उसका मालिक यांडू तय करता है | दोनों हालातो से हमे यह पता चलता है की किसपर निशाना लगाना है यह मालिक तय करता है| तो वैज्ञानिक तौर पे हो सकता है इन हथियारो मे एक सिग्नल अडॉप्टर लगा हो जिसका कोंट्रोल उनके मालिक के दिमाग से जुड़ा होता है| हमे देखने को मिला था यांदू एक डिवाइस का इस्तेमाल करता है| पर हमे श्री कृष्ण के बारे मे ऐसा नहीं जानते| हमे आजकल मिसाईलों मे ये देखने को मिलता है तो यह संभव है|


5) क्या चक्र अपना आकार बदल सकता है?

हम जानते है की सुदर्शन चक्र का धारक भगवान विष्णू का कोई अवतार ही हो सकता है| और हम जानते है की भगवान कृष्ण अपना आकार बदल सकते है| एक लेख से मुझे पता चला है की चक्र का आकार इतना छोटा होता है की उसे पत्ती के शीर्ष पर संतुलित कर सकते है और इतना बड़ा हो सकता है की आकाशगंगा समा जाए | हम इसका वैज्ञानिक व्याख्या इस तरह दे सकते है की मारवेल की एक मूवी एंटमेन मे दिखाया गया है की एक साइंटिस्ट ने एक ऐसा अविसकर किया है जिससे किसी वायक्ति या वस्तु को छोटा-बड़ा किया जा सकता है| भले ही यह सिर्फ फिक्सन है पर अगर साइंटिस्ट उसपे काम करे तो कुछ निष्कर्ष तो निकलेगा ही| और फिर अगर इंसान यह कर सकता है तो भगवान की सिर्फ सोंच ही काफी है वास्तविकता मे लाने के लिए |


6) श्री कृष्ण सुदर्शन चक्र को कहाँ रखते थे?

कुछ लेखों मे उल्लेख है की सुदर्शनचक्र कोई अस्त्र नहीं बल्कि भगवान विष्णु की कुंडालिनी शक्ती का प्रत्यक्षीकरण है | इसका मतलब यह है की चक्र श्री विष्णू का ही एक है हिस्सा और वह इसका इस्तेमाल करने के बाद अपने अंदर ले लेता है |पर हम वैज्ञानिक सोंच रखते है| कुछ थियोरिस सैंटोस्टो ने दी है मैं उनके द्वार समझने की कोशिश करता हूँ|

1. जैसे की मैं ऊप्पर की बिन्दु मे बताया धारक चक्र का आकार छोटा कर सकता है| और फिल्म देखाया गया की वो डिवाइस सुट पहने वाले को अटॉमिक लेवेल मे छोटा कर सकता है तो श्री कृष्ण भी तो उसे छोटा करके अपने पास रख लेते होंगे और इसे ही खुद मे समा लेना कहा गया होगा|

2. एक और फिक्टिसनल थियोरी है की कुछ देवता पॉकेट डैमेनसन का इस्तेमाल करते है जैसे नोर्स मायथोलोजी का देवता लोकी। हिंदु देवी-देवताओं मे भी यह शक्ती इस्तेमाल करते होंगे और चीजो को

मायावी दुनिया मे रखते होंगे और जब उन्हे जरूरत होती होगी वे उन्हे याद करके अपने पास बुला लेते होंगे |

7) क्या इस तरह का अस्त्र बनाना संभव होगा?

पहली बात असंभव | यह देवताओं का लेवल का काम है| पर अगर उसका एक छोटा सा नमूना या मोडेल बनाना

 चाहे तो ऊपर मे बताए गए बिन्दुओ को ध्यान मे रखते हुए कुछ चीजे पॉसिबल है तो कुछ नहीं है(अभी के समय मे भविष्य का पता नि)|

एक शक्तिशाली धातु जो बहुत धारदार हो और बहुत तेजी से घूमे|

अच्छा सुनाई देता है पर बनाना नहीं| आपको वैसी    धातु और वैसा धारक ढूँढना होगा जो इसे उठा सके |
हाँ टेक्नोलोजी भले ही इसकी घूर्रणगति और आगे बढ़ने की गति  और कंट्रोल को बना ले तो यह मुमकिन है| पर इसे उस मात्रा मे ऊर्जा नि दे पाएंगे और न ही आकार बड़ा छोटा कर सकते है|पर फिर भी यह खतरनाक होगा और इसे सुरक्षित रखना होगा| और यह हर जगह नि ले जया जा सकता क्योंकि इसे चलाने वाला मशिनो का वजन भी बहुत होगा|



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